चंद्रभानु पाण्डेय ने नौजवानों को दिखाई संघर्ष की राह, पढ़ें बलिया के जाबांज छात्रनेता की पूरी कहानी
बलिया : मुरली मनोहर टाउन डिग्री कॉलेज के प्राचार्य कक्ष के सामने स्थित पार्क में गुरुवार को चंद्रभानु पांडेय की 33वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित सर्वधर्म संभाव सभा में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, फेफना विधायक संग्राम सिंह व वाराणसी मण्डल स्नातक क्षेत्र से एमएलसी आशुतोष सिन्हा के साथ ही बड़ी संख्या में छात्र नेताओं ने चंद्रभानु पांडेय को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं, हिन्दू, मुस्लिम और सिक्ख धर्म के लोगों ने सुरों से श्रद्धांजलि दी।
विधायक संग्राम सिंह यादव ने कहा कि युवा संघर्ष की राह पर चलने का संकल्प लें, तभी राजनीति का भला होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में छात्रसंघ की बहाली जरूरी है। युवा इसके लिए आंदोलन करें, हम साथ देंगे। इस अवसर पर राणाप्रताप सिंह, नागेंद्र बहादुर सिंह झुन्नू, सच्चिदानंद तिवारी, उमाशंकर पाठक, राजीव मोहन चौधरी, सुशांत राज भारत, संजय उपाध्याय, लक्षमण गुप्ता, वेदप्रकाश पाण्डेय, लक्ष्मण यादव, रामाकृष्ण यादव, अरुण सिंह, जितेन्द्र सिंह, अरविंद राय, रामविचार यादव, बिजेंद्र राय, प्रेमप्रकाश सिंह पिंटू, मृत्युंजय राय, दिनेश प्रताप सिंह, जमाल आलम, दीपक सिंह, संतोष सिंह, रामप्रताप सिंह, अनूप सिंह, श्यामनारायण तिवारी, अशोक यादव, जयपाल यादव, करुनानिधि तिवारी, रजनीश यादव आदि थे। संचालन टीडी कालेज के छात्रसंघ महामंत्री अमित सिंह ने किया। वहीं, चंद्रभानु पाण्डेय की स्मृति में अतिथियों ने टीडी कालेज परिसर में पौधरोपण भी किया। सभी आगंतुकों के प्रति आभार पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय कान्हजी ने व्यक्त किया।
...और अमर हो गये चंद्रभानू पांडेय
चंद्रभानू पांडेय का जन्म 1966 में जिले के बभनौली गांव में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव के ही सरकारी स्कूल से पूरी हुई। बाद में राजकीय इण्टर कॉलेज व उच्च शिक्षा के लिए टीडी कॉलेज में दाखिला लिया। टीडी कॉलेज से वो छात्र संघ का चुनाव भी लड़ चुके थे। निधन के साल भी वो छात्र संघ चुनाव की तैयारी कर रहे थे। साल 1991 में पांच दिसंबर को टाउन इण्टर कालेज में पढ़ने वाले कक्षा सात के एक छात्र को रोडवेज के बस ने कुचल दिया। मौके पर ही बच्चे की मौत हो गई। पुलिस ने बच्चे के शव के साथ लावारिसों जैसा व्यवहार किया था। वहां किसी को जाने नहीं दिया जा रहा था। इसी बात को टीडी कॉलेज के छात्र आंदोलन करने लगे। इस आंदोलन का नेतृत्व चंद्रभानु पांडेय कर रहे थे। छात्रों की मांग थी कि बच्चे के परिवार को मुआवजा मिले और शव को ससम्मान परिवार के लोगों को दिया जाय। इसी आंदोलन के दौरान पुलिस ने फायरिंग की और पुलिस की गोली से चंद्रभानू पांडेय अमर हो गए।