बजट 2024-25 : बलिया के शिक्षक नेता बोले- हाथ लगी निराशा, गिनाई खामियां

Ballia : आम बजट 2024-25 को अर्थशास्त्रीय दृष्टिकोण से देखा जाय तो यह एक लचीली और समावेशी अर्थव्यवस्था पर फोकस नहीं करता है। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की बुनियाद पर विकसित भारत का दिवास्वप्न बुना गया है। इस बजट में शहरीकरण के उन्मुखीकरण के लिए संकल्पना दुहराया गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले नागरिकों के आर्थिक उन्नति के लिए कोई खास रूपरेखा नहीं है। वर्तमान समय में महंगाई से जूझ रहे नागरिकों को राहत देने के लिए यह आवश्यक था कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) में कटौती का प्राविधान हो, लेकिन इस आम बजट में महंगाई से राहत देने का कोई प्राविधान नहीं है।

मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि 20024-25 का यह आम बजट 2024 के अन्तरिम बजट की पुनरावृत्ति ही है। चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसके लिए यह आवश्यक था कि बजट में किसानों को और अधिक सहायता प्रदान किया जाय और ग्रामीण उपभोग को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण रोजगार योजनाओं को सशक्त किये जाने का प्राविधान किया जाना चाहिए था। कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबन्ध हटाते हुए उनके निर्यात में प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता थी। लोन आधारित शिक्षा की जगह पर सस्ती शिक्षा की अपेक्षा राष्ट्र के नागरिकों की थी, लेकिन उन्हें इस बजट से निराशा हाथ लगी है। इस बजट से यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि पहले से बेहतर राजकोषीय घाटे का अनुमान प्रदान करेगा, जो बुनियादी ढांचे के विकास में मददगार साबित होगा।

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शिक्षक व कर्मचारी नेता डॉ घनश्याम चौबे ने बजट 2024-25 की समीक्षा करते हुए कहा कि केंद्रीय बजट एक दूरदर्शी दस्तावेज साबित होगा, जो भारत के दीर्घकालिक विकास उद्देश्यों को पूरा करने में सफल साबित नहीं होगा। इस बजट से कर्मचारियों को काफी उम्मीदें थी कि बजट में पुरानी पेंशन सहित मध्यम वर्ग के लिए कर राहत की घोषणा का प्राविधान किया जाएगा, लेकिन टैक्स स्लैब में आंशिक राहत ही दी गई है। जबकि पुरानी पेंशन बहाली पर शिक्षक कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है। स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाकर एकलाख किये जाने की उम्मीद थी, लेकिन उसमें महज 25 हजार की मामूली बढ़ोतरी की गई है। पब्लिक सेक्टर के बुनियादी ढांचे के विकास पर काफी उम्मीदें थी, लेकिन यह बजट प्राइवेट सेक्टर केन्द्रित है। महंगाई से राहत के लिए वस्तु कर एवं सेवा कर की कटौती के लिए घोषणायें अपेक्षित थी लेकिन यह प्राविधान इस बजट में नहीं है।


आम बजट 2024-25 की समीक्षा करते हुए शिक्षक व कर्मचारी नेता धीरज राय ने कहा कि इस बजट से शिक्षक-कर्मचारियों को काफी उम्मीदें थी कि बजट में पुरानी पेंशन बहाली का प्राविधान किया जाएगा। लेकिन शिक्षक-कर्मचारी को निराशा हाथ लगी है। साथ ही
इस बजट में मध्यमवर्ग को कराधान के लिए अधिक मानकीकृत नजरिया अपनाने की उम्मीद थी। मानक कटौती (स्टैण्डर्ड डिडक्शन) 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख किये जाने की उम्मीद की गई थी, लेकिन इसे आंशिक रूप से बढ़ाकर 75 हजार ही किया गया है। 10 लाख से कम वार्षिक आय वाले टैक्स पेयर्स के लिए टैक्स स्लैब में आंशिक राहत दी गई है, जबकि 10 लाख से उपर के टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

शिक्षक-कर्मचारियों को इस आम बजट से यह उम्मीद थी कि 80सी के अन्तर्गत निवेश की सीमा बढ़ाई जाएगी, जिससे टैक्स कटौती से राहत मिलेगी लेकिन इसे यथावत रखा गया है। शिक्षक कर्मचारियों को इस आम बजट से आठवें वेतन आयोग की उम्मीद थी, लेकिन इस बजट से उनके हाथ निराश ही लगी है। गृहिणियों के लिए इस बजट में कुछ खास प्राविधान नहीं किया गया है। पब्लिक सेक्टर में शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटीज बढ़ा कर निम्न व माध्यम वर्ग को राहत प्रदान की जा सकती थी, लेकिन बजट में इसका प्राविधान नहीं किया गया है।

Edited By: Ballia Tak

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