बदायूं: नीलकंठ महादेव मंदिर-जामा मस्जिद मामले में हुई बहस, 10 को होगी अगली सुनवाई

बदायूं,: कोर्ट में चल रही नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम जामा मस्जिद मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को नीयत की गई है। वादी अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने साल 2022 में जामा मस्जिद की जगह नीलकंठ महादेव मंदिर होने का वाद दायर किया था। सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश अमित कुमार के न्यायालय में मामला विचाराधीन हैं। मंगलवार को प्रतिवादी संख्या एक में इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता ने बहस की। जो आगे भी जारी रहेगी। कोर्ट में सुनवाई के चलते कोर्ट परिसर से लेकर बाहर भारी पुलिस बल तैनात रहा। 

वादी मुकेश पटेल के वाद दायर करने के बाद मामले में 8 अगस्त 2022 से सुनवाई चल रही है। सुनवाई में पहले सरकार पक्ष कि तरफ से बहस शुरू की गई थी। जो समाप्त हो गई। जिसमें बताया गया था कि मस्जिद से पहले वहां मंदिर होने के सबूत उनके पास हैं। साथ ही गजट में इसके प्रमाण मौजूद हैं। इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड इसमें प्रतिवादी संख्या एक और दो हैं। इंतजामिया कमेटी अपनी बहस शुरू कर चुकी है। जिसके अंतर्गत कोर्ट में प्रतिवादी संख्या एक इंतजामिया कमेटी ने बहस की। इस दौरान कमेटी के अधिवक्ता अनवर आलम ने आदेश 7 के नियम 11 का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह मामला खारिज किया जाए। वादी पक्ष को दावा दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा मस्जिद पक्ष ने वादी पक्ष के वाद पत्र में दायर किए गए दावे का प्रतिवाद करते हुए कहा कि वादी पक्ष ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी पार्टी बनाया है और अगर वादी पक्ष यह मान रहा है कि यह वक्फ संपत्ति है तो  सिविल न्यायालय में यह वाद चलेगा ही नहीं। वक्फ संपत्ति के अनुसार यह मामला अधिकरण (ट्रिब्यूनल) में चलेगा। बहस में यह भी कहा कि जो पार्टी नंबर चार (पुरातत्व) बनाया गया है वह डिफेक्ट पार्टी है। जिलाधिकारी को पार्टी बनाया गया है। उनकी तरफ से कोई जवाब भी नहीं आया है। बहस में अधिवक्ता ने कहा कि वहां अब जामा मस्जिद है मंदिर नहीं। 15 अगस्त 1947 से पहले से इंतजामिया कमेटी का उस पर कब्जा रहा है और 1947 के बाद भी उसपर उनका ही कब्जा है। वहां पर मंदिर नहीं जामा मस्जिद है। बहस के दौरान यह मुद्दा भी लाया गया कि इसमें प्रतिवादी संख्या एक और प्रतिवादी संख्या दो पर किसी भी तरह से वाद कारण नहीं बन रहा है। वाद कारण सिर्फ प्रतिवादी संख्या 3 से 6 के खिलाफ बनता है। बहस में वादी पक्ष के द्वारा दिए गए ज्ञापन का मुद्दा भी रखा गया और धारा 80 के दिए गए नोटिस का जिक्र भी आया। प्रतिवादी संख्या एक और दो की बहस समाप्त होने के बाद वादी पक्ष अपनी बहस शुरू करेगा। न्यायालय को यह देखना हैं कि वाद चलेगा या नहीं।

यह भी पढ़े - एक्सियन सहजनवा ने उनवल में किया निरीक्षण 

Edited By: Ballia Tak

खबरें और भी हैं

Copyright (c) Ballia Tak All Rights Reserved.
Powered By Vedanta Software