शाहजहांपुर: एक साथ उठी दो अर्थियां, पूरे गांव की आंखें हुईं नम
शाहजहांपुर: बदनसीबी का जीता-जागता उदाहरण जमुही गांव के सुरजीत की कहानी है, जिसने चंद दिनों में अपनी दुनिया उजड़ते देखी। दो जुड़वा बच्चों की मौत, पिता के सड़क हादसे में निधन और पत्नी के निधन ने सुरजीत के जीवन में दुखों का पहाड़ खड़ा कर दिया। बुधवार को जब सुरजीत ने अपने पिता और पत्नी की अर्थी को एक साथ कंधा दिया, तो पूरा गांव गमगीन हो गया।
सुरजीत, जो मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का पालन करता था, कुछ दिन पहले पिता बना। पत्नी रेशमा ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, लेकिन जन्म के कुछ समय बाद ही दोनों की मौत हो गई। इस दुख से उबरने का मौका भी नहीं मिला था कि रेशमा की तबीयत बिगड़ गई। परिजनों ने उसे सेहरामऊ दक्षिणी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
इसी दौरान मंगलवार को सुरजीत के पिता विनोद अपनी बीमार बहू को देखने अस्पताल जा रहे थे। रास्ते में दिलावरपुर के पास उनका सड़क हादसे में निधन हो गया। मंगलवार दोपहर पिता का शव गांव पहुंचा, तो कुछ देर बाद ही पत्नी रेशमा ने भी दम तोड़ दिया।
गांव में पसरा सन्नाटा
एक साथ दो मौतों ने सुरजीत के घर में मातम और गांव में सन्नाटा फैला दिया। बुधवार को जब सुरजीत ने अपने पिता और पत्नी की अर्थी को एक साथ कंधा दिया, तो हर कोई अपने आंसू रोक नहीं पाया। सुरजीत की हालत देख गांव वाले भी गमगीन हो गए।
सुरजीत की बेबसी: "मेरा सब कुछ लुट गया"
अपने बच्चों, पिता और पत्नी को खोने के बाद सुरजीत बार-बार यही कहता रहा, "मेरा तो सब कुछ लुट गया।" उसने रोते हुए बताया कि जुड़वा बच्चों के जन्म की खुशी मनाने का भी मौका नहीं मिला। उसकी जिंदगी में अब कोई सहारा नहीं बचा।
गांववालों ने एकजुट होकर दोनों शवों का अंतिम संस्कार कराया और सुरजीत को ढांढस बंधाने की कोशिश की। लेकिन उसके दर्द को देखकर सभी की आंखें नम हो गईं।