Prayagraj News : लक्ष्य विहीन व्यक्ति कुछ करता तो दिखता है पर हासिल कुछ नहीं करता

प्रयागराज:  पं रामचन्द्र मिश्र मेमोरियल पब्लिक स्कूल झलवा में कैरियर को लेकर धर्म और आध्यात्मिक मूल्य क्या हैं, पर रविवार कार्यशाला हुई। वक्ता ने कहा कि यह हमारे जीवन में किस तरह उपयोगी हैं। क्या करिअर बनाने में यह सहायक हैं। आज के दौर में क्या इनकी उपयोगिता है? इस तरह के ढेरों सवाल उठे। उनके उत्तर भी दिए गए। छात्र छात्राओं ने माना कि लक्ष्य यदि स्पष्ट हो तो राह आसान होती है। अपने लक्ष्य के लिए क्या करें, कैसे करना है।
 यह आयोजन पंडित रामचंद्र मिश्र मेमोरियल पब्लिक स्कूल में हुआ। मनोविज्ञानी राकेश सिंह ने छात्र , छात्राओं को अलग , अलग उदाहरण देकर विषय से जोड़ा और उनकी आशंकाओं का समाधान करते हुए कहा, पैंडुलम न बनें। अपना लक्ष्य तय करें, उसे पाने के लिए प्रयास करें। उसमें जहां आवश्यकता हो शिक्षक, अभिभावक व अन्य वरिष्ठजनों की मदद लें।

मनोविज्ञानी राकेश सिंह ने कहा कि कई बार जिनके पास लक्ष्य नहीं होता वे भी कुछ करते दिखाई देते हैं लेकिन उन्हें हासिल कुछ नहीं होता है। यह ठीक उसी तरह होता है जैसे घड़ी का पैंडुलम हिलता रहता है लेकिन वह किसी एक ठिकाने पर नहीं पहुंचता। तो विद्यार्थियों को इस स्थिति से बचना चाहिए। विषय से जुड़ते हुए उन्होंने धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि गुरु का सम्मान, माता पिता की आज्ञा मानने जैसी बातों को हम गंभीरता से नहीं लेते। यहीं से भटकाव शुरू होता है। धर्म हमारे जीवन के लिए रोडमैप की तरह होते हैं। उनका अनुशरण करने पर राह से भटकाव नहीं होता। अध्यात्म हमें अभ्या से जोड़ता है। नियमित करता है। दिनचर्या को व्यवस्थित करता है। यह सभी कारक कैरिअर के लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत आवश्यक हैं।

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पं रामचन्द्र मिश्र मेमोरियल पब्लिक स्कूल की 10 वी की छात्रा रिमझिम राय ने पूछा कि कई बार हम दिनचर्या बनाते हैं। समय पर कार्य नहीं कर पाते हैं तो तनाव होता है। इससे कैसे निपटें। उन्हें बताया गया कि अभ्यास जरूरी है। पहले प्रयास में यदि आप समय सारिणी के अनुसार नहीं चल पाते तो कोई बात नहीं, कुछ तो उसके अनुसार करें। धीरे धीरे आगे बढ़ेंगे पर लक्ष्य मिलेगा। पं रामचन्द्र मिश्र मेमोरियल पब्लिक स्कूल झलवा के प्रधानाचार्य अमित मिश्रा ने कहा कि यह आयोजन सराहनीय है। विद्यार्थियों के लिए इस तरह के विषय पर विमर्श जीवन की राह खोलने वाले हैं। वह संवाद की ओर बढ़ते हैं जो आवश्यक है।


शौक पूरे करें या करिअर को बनाएं

कार्यशाला में सवाल जवाब का दौर चला तो विद्यार्थियों ने अपने मन की गांठों को खोला। मान्य गौड़ ने कहा, मेरा शौक कुछ जबकि करिअर का लक्ष्य कुछ अलग है। किस पर फोकस करें। उन्हें बताया गया कि शौक को भी समय दें। संभव है शौक ही करिअर बन जाए। यदि दोनों में साम्यता न हो तो स्वयं को ही संतुलन बनाना होगा। अर्चना सिंह ने कहा, पढ़ाई के समय मन भटकता है, क्या करें? उन्हें निरंतर अभ्यास का सुझाव दिया गया। बताया गया कि यहीं पर अध्यात्म सहायक होता है। थोड़ा ध्यान और योग जीवन में शामिल करें।

शालिनी, अमृता गुप्ता, अवनि पांडेय और खुशी साहू ने भी प्रश्न पूछे। सभी को अपने आप को पहचानने और रुचि को समझने का सुझाव दिया गया। कहा गया कि किसी भी तय परिस्थिति में अपने आप का विश्वास न डिगने दें। कुछ भी हो खुद से बात करें। क्यों कि आप स्वयं अपने को बेहतर पहचानते हैं। अपने साथ न्याय करें। अपने प्रति इमानदार बनें। यही सफलता का मंत्र है।

Edited By: Ballia Tak

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