प्रयागराज : सीआरपीसी की धारा 125 के तहत 'निवास' शब्द की उदार व्याख्या आवश्यक

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भरण-पोषण के एक मामले में परिवार न्यायालय के क्षेत्राधिकार पर उठाई गई आपत्तियों के संबंध में 'निवास' शब्द की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि 'निवास' शब्द के अंतर्गत वह विशेष स्थान शामिल होता है, जहां पर अस्थायी रुप से या रुक-रुक कर निवास किया जाए, विशेषकर जब व्यक्ति का उस स्थान से महत्वपूर्ण संबंध हो, जैसे पैतृक घर।

कोर्ट ने यह माना कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत 'निवास' शब्द की व्याख्या इस ढंग से की जानी चाहिए, जिससे महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के उद्देश्य से कल्याणकारी कानून के रूप में इसकी पुष्टि हो सके। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने माजिद खान की याचिका खारिज करते हुए पारित किया। कोर्ट ने माना कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत निहित शक्ति का उपयोग करके यह न्यायालय केवल अधिकार क्षेत्र की आपत्ति पर सीआरपीसी की धारा 125 के मूल उद्देश्य को विफल करने का साधन नहीं बन सकता है।

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दरअसल याची ने विपक्षी द्वारा 30 जुलाई 2021 को बरेली में अपना निवास बताते हुए भरण-पोषण के लिए दाखिल आवेदन को खारिज करने के लिए वर्तमान याचिका दाखिल की। याची का तर्क था कि विपक्षी स्थायी रूप से बरेली में नहीं रहती है, इसलिए बरेली में पारिवारिक न्यायालय के पास सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उसकी याचिका पर विचार करने का अधिकार नहीं है। हालांकि कोर्ट ने स्वीकार किया कि बरेली की यात्रा आकस्मिक प्रवास या अचानक की गई यात्रा नहीं कही जा सकती, क्योंकि विपक्षी का बरेली में स्थायी पता 'निवास' की परिधि में आता है।

Edited By: Ballia Tak

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