मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में कौन होगा बाहर, कौन होगा अंदर!

  • यूपी में दो मंत्री अजय मिश्र टेनी, महेंद्र पांडे व कौशल किशोर हारे, स्मृति ईरानी व मेनका गांधी के हारने से कोटा खाली
  • 2024 के लोस चुनाव का नतीजा बेहतर नहीं रहा, फिर भी 2027 के विस चुनाव पर होगा पूरा होगा फोकस
  • आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मप्र, उड़ीसा व केरल का कोटा बढ़ेगा, असोम-पूर्वोत्तर राज्यों को भी साधने की कोशिश
  • यूपी के नगीना से चंद्रशेखर रावण सहित अन्य निर्दलीय सांसदों को भी गठबंधन से जोड़ने का होगा प्रयास
  • नये और युवा चेहरों के तौर पर चिराग पासवान, कंगना रानावत व बांसुरी स्वराज को मिल सकती है इंट्री
लखनऊ। भारतीय राजनीति के इतिहास में अबकी ऐसा दूसरा बार होगा जब कोई राजनेता निरंतर तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेगा, अभी तक पंडित नेहरू के साथ यह उपलब्धि जुड़ी थी और अब कई दशक बाद नरेंद्र मोदी ऐसा कारनामा करने जा रहे हैं। हालांकि कहने को तो साल 2014 और फिर 2019 में मोदी ही पीएम थे, मगर राजनीतिक जानकारों की माने तो इस बार मिले घटे-बढे जनादेश के चलते समीकरण पूरी तरह बदले हुए हैं। ऐसे में भले ही शुरूआती चरण में घटक दलों ने मोदी को ही गठबंधन दल का सर्वमान्य नेता मान लिया हो, मगर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आगे की राजनीतिक परिस्थितियां इसी तरह नहीं रहेंगी क्योंकि इसके पहले का इतिहास गवाह रहा है कि गठबंधन के सहारे बनी कोई भी सरकार में कभी भी कोई अप्रत्याशित राजनीतिक घटना हो सकती है जिसका सही-सही अंदाजा लगा पाना पानी में तीर चलाने जैसा है।

बहरहाल, यूपी के परिप्रेक्ष्य में देखा जाये तो इस बार मोदी 3.0 के नवगठित होने वाले मंत्रिमंडल में इसका आंकलन तो किया ही जायेगा कि इस प्रदेश से पार्टी को काफी तगड़ा झटका लगा है, मगर इसको भी ध्यान में रखा जायेगा कि प्रदेश के कुछ ऐसे क्षेत्रों के निर्वाचित वरिष्ठ सांसदों को मंत्रिमंडल में इंट्री दी जाये कि जिनका लाभ आगे 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में मिल सके। ऐसे में देखा जाये तो यहां से लखीमपुर से अजय मिश्र टेनी और चंदौली से डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, अमेठी से स्मृति ईरानी और सुल्तानपुर से मेनका गांधी के हारने से यहां से काफी कोटा खाली होगा, जिसको देखते हुए अन्य नये सांसद चेहरों को भी शामिल किया जा सकता है। वहीं रविवार को गोधूलि बेला में जब मोदी पीएम पद की शपथ लेंगे तो उस दौरान मंत्रिमंडल में कौन उनके साथ होगा, इस पर भी काफी बयानबाजी की जा रही है। वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि कुछ ऐसे नाम हैं जिन पर कोई संशय नहीं कहा जा सकता जिसमें अमित भाई शाह, राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, नितिन गडकरी, ओम बिरला, अश्विनी वैष्णव, शिवराज सिंह चौहान,  एस. जयशंकर की पूरी संभावना है।
 
इसके अलावा कुछ नये चेहरों में डॉ. संबित पात्रा, डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, आंध्र से पवन कल्याण, हिमाचल से दोबारा अनुराग ठाकुर व अभिनेत्री से नेत्री बनी युवा सांसद कंगना रानावत, बिहार से चिराग पासवान, नई दिल्ली कोटे से बांसुरी स्वराज, यूपी से डॉ. दिनेश शर्मा या डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई जबकि पुराने चेहरों में अनुप्रिया पटेल, जयंत चौधरी और महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, बिहार, केरल, असोम-पूर्वोत्तर राज्य, गुजरात व राजस्थान को भी खासी तरजीह मिल सकती है। वहीं गठबंधन की राजनीतिक नब्ज पर पकड़ रखने वाले कुछ वरिष्ठ जानकारों का कहना रहा कि नवगठन होने के बाद से ही मोदी सरकार निर्दलीय सांसदों को भी साधने की कोशिश करेगी ताकि अपनी स्थितियां अपने मुताबिक अनुकूल बना सके जिसमें नगीना से निर्वाचित निर्दलीय युवा सांसद चंद्रशेखर रावण का नाम काफी चर्चा में चल रहा।
 
Edited By: Ballia Tak

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