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भ्रष्टाचार और पद का दुरुपयोग के मामले में एसडीएम व नायब तहसीलदार निलंबित
लखनऊ। यूपी में भ्रष्टाचार में लिप्त रहने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की अब खैर नहीं है। चूंकि ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ योगी सरकार कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। इसका ताजा उदाहरण फिरोजाबाद में देखने को मिला। यहां पर भ्रष्टाचार में लिप्तऔर पद का दुरुपयोग करने वाले सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों बड़ी कार्रवाई की गई है।
जांच कमेटी की रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई
जांच के लिए गठित कमेटी की अनुशंसा के बाद यह कार्रवाई की गई है। शासन की ओर से डीएम को इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ एफआईआर कराने के भी निर्देश दिए गए हैं। वहीं, प्रदेश सरकार के सतर्कता विभाग की ओर से इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच के भी
निर्देश दिए गए हैं। गलत तरीके से जमीन हड़पने का है मामला उपजिलाधिकारी, फिरोजाबाद विवेक राजपूत द्वारा सिरसागंज तहसील में तैनाती के दौरान जून 2024 में ग्राम रुधैनी की जमीन से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए अवर न्यायालय द्वारा पारित आदेश को खारिज कर संदिग्ध रूप से आदेश पारित किया गया।
अपने सगे संबंधियों को दिला दी गई थी जमीन
आदेश के महज 5 दिन के अंदर अनियमित तरीके से पद का दुरुपयोग करते हुए भूमि अपने गृह जनपद के निवासियों एवं अन्य सगे संबंधियों को दिला दी गई। इस मामले में प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाते हुए उत्तर प्रदेश शासन ने विवेक राजपूत को तत्कालीन प्रभाव से निलंबित कर दिया तथा विभागीय कार्रवाई की संस्तुति कर दी है।
इसी प्रकार, प्रभारी तहसीलदार/नायब तहसीलदार नवीन कुमार पर भी पद का दुरुपयोग कर राजस्व अधिकारियों की मिली भगत से जमीन हड़पने एवं सरकारी सेवक आचरण नियमावली के उल्लंघन पर कार्यालय राजस्व परिषद ने कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया।
इन अधिकारियों व कर्मचारियों को पाया गया दोषी
लेखपाल अभिलाष सिंह को भी जमीन हड़पने व फसल बर्बादी के संबंध में की गई शिकायत की जांच में दोषी पाए जाने पर उपजिलाधिकारी द्वारा निलंबित किया गया और विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ एफआईआर के भी निर्देश दिए गए हैं।प्रदेश के सतर्कता विभाग की ओर से उपजिलाधिकारी विवेक राजपूत, नायब तहसीलदार नवीन कुमार, राजस्व निरीक्षक मुकेश कुमार सिंह, लेखपाल अभिलाष सिंह और उपजिलाधिकारी के रीडर प्रमोद शाक्य की आय से अधिक संपत्ति की जांच के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, शासन की ओर से इन सभी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के साथ विधिक कार्रवाई (एफआईआर) किए जाने की संस्तुति की गई है।