रक्त वाहिका ट्यूमर की सर्जरी करने को नवीनतम तकनीक शुरू

  • इस सर्जरी में करीब 20 से 30 हजार रूपये का आता खर्च
लखनऊ। राजधानी में रक्त वाहिकाओं के ट्यूमर सर्जरी की नवीनतम तकनीक शुरू हो गयी है। बुधवार को एसजीपीजीआई प्लास्टिक सर्जरी विभाग के फाउंडर हेड डॉ.राजीव अग्रवाल ने बताया कि अल्ट्रासोनिक उर्जा विधि रक्त वाहिओं के ट्यूमर की सर्जरी करना आसान हुआ है, सर्जरी के दौरान इस विधि से रक्त वाहिकाओं से होने वाले रक्तस्राव को बचाने में सहायक सिद्ध हुई है। डॉ.अग्रवाल ने कहा कि अल्ट्रासोनिक विधि नवीनतम तकनीकि है यह संस्थान में बच्चे की पहली बार सर्जरी करने में सफलता हासिल की गयी है और सफल रही है। ज्ञात हो कि इस सर्जरी में लगभग 20 से 30 हजार रूपये लागत आती है। हार्मोनिक स्केलपेल एक सर्जिकल उपकरण है, जिसका उपयोग ऊतक को एक साथ काटने और दागने के लिए किया जाता है। बीते एक दशक में उपलब्ध नवीनतम उपकरण है।
 
अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग हार्मोनिक स्केलपेल में किया जाता है, जहां सक्रिय ब्लेड पर अल्ट्रासोनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। मुख्य तंत्र सक्रिय ब्लेड है जो उच्च श्रेणी का घर्षण बल प्रदान करता है,जबकि निष्क्रिय ऊपरी भुजा ऊतक को स्थिति में रखती है। यह विधि से सटीक विच्छेदन, विश्वसनीय हेमोस्टेसिस, कम पार्श्व थर्मल फैलाव है। हार्मोनिक द्वारा विच्छेदन विधि को दिया गया नाम अल्ट्रासिकॉन है। इसमें कतरनी, ब्लेड और एक हुक हैं। कतरनी 5 मिमी तक के नसों को जमा सकती है, जबकि हुक और ब्लेड केवल 2 मिमी व्यास के होते हैं।
 
इसमें सभी उपकरणों की तुलना में सबसे कम थर्मल फैलाव और धुआं उत्पादन होता है। एथिकॉन ने पहली बार 1998 में हार्मोनिक स्केलपेल शियर्स की रिलीज के साथ दुनिया को हार्मोनिक अल्ट्रासोनिक तकनीक और इसकी सटीक विच्छेदन क्षमता से परिचित कराया है। इसे जॉनसन एंड जॉनसन के एक भाग एथिकॉन द्वारा निर्मित और आपूर्ति किया गया, यह अद्भुत उपकरण है। प्रदेश स्तर पर संस्थान में पहली बार संवहनी विकृतियों के इलाज के लिए किया गया है। इसलिए पारंपरिक तरीकों से ऑपरेशन करने पर रक्तस्राव होता है। बता दें कि संस्थान ने एक वर्षीय आयुष यादव ऊपरी होंठ पर एक बड़े संवहनी ट्यूमर के साथ पैदा हुआ था।
 
घाव को छोटा करने के लिए शुरू में उनका इलाज स्क्लेरोसेंट एजेंट द्वारा किया गया था। जिसमें विशेष लाभ नहीं हुआ। वही जब हार्मोनिक स्केलपेल नवीनतम तकनीक का उपयोग कर ऑपरेशन किया गया और सफल रहा। बच्चा अब पूरी तरह स्वस्थ है। सर्जिकल टीम में मुख्य ऑपरेटिंग सर्जन डॉ. राजीव अग्रवाल की देखरेख में किया गया। साथ ही वरिष्ठ एनेस्थीसियोलाजिस्ट डॉ. पुनीत गोयल,डॉ. आरती अग्रवाल टीम में शामिल रही।  
Edited By: Ballia Tak

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