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Diabetes बन गया युवाओं के लिए खतरा, हो रहे ग्लूकोमा का शिकार
लखनऊ: अनिनियमित जीवनशैली के कारण युवा मधुमेह के शिकार हो रहे हैं। इससे उनकी आंखों में ग्लूकोमा की समस्या पैदा हो रही है।
डॉ. शिखा ने बताया कि लोहिया में उन्नत तकनीकी से जांच की जाती है। जिन मरीजों की रोशनी जा चुकी है। उनको मैग्नीफाई ग्लासेस लगाया जाता है। साथ ही जीवनयापन के लिए लाठी लेकर चलना, ब्रेल लिपि, कलर पहचानना आदि सिखाया जाता है। जो लोग पेपर नहीं पढ़ सकते, बॉथरूम जाने में दिक्कत है। ऐसे लोगों को नई तकनीकी की डिवाइस लगाई जाती है, जिससे उनको अपने कुछ काम करने में आसानी होती है। यह डिवाइस करीब 40 हजार रुपए से शुरू होती है। भारत में कम दृष्टि के मुख्य कारण ग्लूकोमा और वयस्कों में मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी हैं। बच्चों में कॉर्टिकल दृष्टि हानि, एम्ब्लियोपिया, समय से पहले रेटिनोपैथी और वंशानुगत रेटिनल विकार मुख्य हैं।
निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि आईडीपीडी विकलांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देता। भारत में 13.7 करोड़ से अधिक लोग निकट दृष्टिबाधित है, जबकि और 7.9 करोड़ लोग दृष्टिबाधित हैं। कम दृष्टि दोष किसी भी उम्र में हो सकता है। कम दृष्टि वाले लोगों को पूरी तरह से दिखने की समस्या नहीं होती है, इसलिए उन्हें बची हुई दृष्टि का सर्वोत्तम उपयोग करने में मदद करना अहम है। निदेशक ने नेत्र विभाग में नई मशीनें आदि को बढ़ाने के लिए की दिशा में काम करने का भरोसा जताया।