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लखनऊ: कर्मचारी की मौत ने एक बार फिर उजागर किया व्यवस्था का सच, ठेके के विरोध में उठी आवाज
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की नगर पालिका में कार्यरत ठेका कर्मचारी की आत्महत्या के बाद मौत से आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। उत्तर प्रदेश संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ ने सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ अभियान शुरू किया है।
सोशल मीडिया पर तो जबरदस्त आक्रोश दिखाई पड़ रहा है। तरह-तरह के कमेंट हो रहे हैं। जिसमें कहा जा रहा है कि बलिया में सपना चौधरी को बुलाया गया, कल्पना को बुलाया गया, दादरी मेले के कार्यक्रम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बनाए गए, लेकिन 6 महीने का मानदेय नहीं दे पाया बलिया का नगरपालिका। जिसके चलते एक परिवार ने अपना बेटा खो दिया।
कर्मचारी संगठनों की माने तो ठेके के नाम पर कर्मचारियों का लगातार शोषण हो रहा है। पहले नौकरी जाने का डर फिर सैलरी की चिंता से ठेका यानी कि आउटसोर्सिंग कर्मचारी लगातार मानसिक दबाव में है। यह केवल एक जिले अथवा शहर की बात नहीं। जहां पर भी ठेका कर्मचारी तैनात है उनकी हालत लगभग एक जैसी ही है, जहां पर पैसे समय पर मिल रहे हैं वहां पर भी स्थिति अच्छी नहीं है। इसके पीछे की वजह है वेतन के नाम पर महज चंद रुपए ही मिलना बताया जा रहा है। समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग लंबे समय से कर्मचारी संगठन कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
उत्तर प्रदेश संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ की तरफ से कहा गया है कि ठेका प्रथा से कर्मचारियों की स्थिति बहुत खराब है ना वह जी सकते हैं और ना मर सकते हैं। संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय की माने तो ठेका व्यवस्था कर्मचारियों के लिए एक अभिशाप है। इसके खिलाफ हम सभी को एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए जिससे लोगों को इस गुलामी से आजादी मिल सके।