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मोहिनी हत्याकांड: मर्डर मिस्ट्री में कई अनसुलझे सवाल, कल चार्जशीट पर रहेंगी सबकी निगाहें
कासगंज: मोहिनी हत्याकांड अब मर्डर मिस्ट्री बन गया है। जिसका ओर है न छोर है, लेकिन इस हत्या का शोर चंहुओर है। अब संभावना है बुधवार को इस मामले में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर देगी। हालांकि जानकारों का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद 90 दिन तक का समय होता है। ऐसे में यह समय छह दिसंबर को पूरा होगा, जबकि एफआईआर चार सितंबर को होगी। विधि विशेषज्ञों की निगाहें इसी चार्जशीट पर टिकी हुई हैं। सवाल हर किसी जेहन में कौंध रहे हैं, लेकिन इन सवालों के जबाब पुलिस किसी को नहीं दे पा रही है। यहां तक कि न्यायालय भी असंतुष्टि जाहिर कर चुका है।
बीती तीन सितंबर की दोपहर न्यायालय के मुख्य द्वार से महिला अधिवक्ता मोहिनी तोमर रहस्य ढंग से लापता हो गईं। हालांकि चार सितंबर की देर शाम उनका शव गोरहा नहर से गांव रजपुरा के समीप बरामद हुआ। पुलिस ने मामले में जांच शुरु की। शव का पोस्टमार्टम हुआ। मोहिनी के पति की तहरीर पर पांच अधिवक्ता एक विधि छात्र को नामजद किया गया। पुलिस ने इन्हें जेल भेजा। बाद में चार नाम और प्रकाश में आए। एक महिला पुरुष को जेल भेजा गया। फिर सुनील फौजी और रजत सोलंकी का नाम सामने आया। इन पर इनाम घोषित है। शव की शिनाख्त को लेकर तमाम सवाल उठे, तो पुलिस ने महिला अधिवक्ता के शव के नमूने महिला की मां डीएनए मिलान कराया। लंबे इंतजार के बाद डीएनए रिपोर्ट आई। इधर महिला का पति मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर भटकता रहा। इस घटना को 90 दिन पूरे होने जा रहे हैं। नियमानुसार पुलिस को चार्जशीट दाखिल करनी होती है, भले ही जांच अधूरी क्यों न हो। इसी चार्जशीट पर विधि विशेषज्ञों की निगाहें टिकी हुई हैं। इससे पहले अनसुलझे सवालों के जबाब पुलिस अभी तक नहीं दे पाई है।
पुलिस ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि मोहिनी की मौत का घटना स्थल कहां है। बरामदगी स्थल तो रजपुरा दिखा दिया गया। आठ गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस घटना स्थल का कुछ पता नहीं कर सकी है। ऐसे में कड़ी कमजोर होती नजर आ रही है। इसके अलावा जिस गाड़ी से मोहिनी लापता हुई है। उसका जिक्र तो किया गया, लेकिन पुलिस उसका नंबर आज तक पता नहीं कर सकी।
तरमीम न कर क्यों बदली गई तहरीर
एक ओर सवाल यह उठ रहा है कि जब इस मामले में पहले से गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज थी। नियमानुसार यह रिपोर्ट एंव हत्याकांड में तरमीम होनी थी, लेकिन पुलिस ने यह प्रक्रिया पूर्ण न कर नये सिरे से तहरीर के आधार पर कार्रवाई आगे बढाई।
आखिर शव निर्वस्त्र करने का क्या था उद्देश
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन महिला अधिवक्ता का शव निर्वस्त्र अवस्था में बरामद हुआ है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि महिला अधिवक्ता का शव निर्वस्त्र करने का उद्देश्य अपराधियों का आखिर किया था। यह सवाल भी रहस्यमयी पहली बना हुआ है।