आगि प्रानन में, तूं लगा के चल

आगि प्रानन में, तूं लगा के चल

आस के दिया हिया, जरा के चल
विघ्न रहिया के सबे, हरा के चल।

यह भी पढ़े - गाजियाबाद: मेड ने नवीं मंजिल से कूदकर दी जान

घाति से राह में, बइठल होइहें, 
कांट कुश से, कदम बचा के चल।

ऊ त चहिहें , तूं सांसति में रह, 
चल जब भी त तिलमिला के चल।

आस छोड़ केहू, फरिश्ता के, 
आगि प्रानन मे, तूं लगा के चल।

रोवला से ई दुख, ना कम होला, 
समय चोरा ल, मुस्किया के चल।

उनका दंशन के घाव, हरियर बा, 
कुछ देरी ओके, भुला के चल।

कहला से त, जगहंसाई होला, 
दाबि ल दिल में आ छिपा के चल।

सांसि अन्तिम कवन ह, के जानल, 
हर एक सांसि, खिलखिला के चल।

विन्ध्याचल सिंह
बुढ़ऊं, बलिया, उत्तर प्रदेश

Edited By: Ballia Tak

खबरें और भी हैं

Copyright (c) Ballia Tak All Rights Reserved.
Powered By Vedanta Software