बलिया : ससुराल में 25 वर्षों से अनावरण का इंतजार कर रही बोरों में लिपटी प्रथम राष्ट्रपति की सपत्नीक प्रतिमा

बलिया : दोकटी थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत  रामपुर दलन छपरा में लगभग 25 वर्षों से भारत गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी डॉ राजेंद्र प्रसाद और उनकी धर्मपत्नी राजमाता राजवंशी देवी की बोरो में लिपटी आदमकद संयुक्त प्रतिमा अनावरण का इंतजार कर रही है। यह प्रतिमा 1999 से संगमरमर की बनी हुई है, लेकिन अब तक अनावरण नहीं हो पाया है।

आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू की शादी बाबू हरिनंदन सहाय की बेटी राजमाता राजवंशी देवी से हुई थी। राजवंशी देवी के ही वंशज स्व. सर्वदेव प्रसाद उर्फ चुन्नू जी द्वारा यह प्रतिमा बनवायी गई थी। उनकी भावना थी कि राजेंद्र बाबू और राजवंशी देवी के योगदान को चिरकालीन धरोहर बनाकर सम्मानित किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी स्वयं को गौरवान्वित समझे। लेकिन आज तक उनका सपना पूरा नहीं हो सका।

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प्रतिमा के अनावरण के लिए सपा, बसपा और भाजपा सरकार में कई बार आवेदन किए गए, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। 3 दिसंबर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 140वें जन्मदिवस के मौके पर इस प्रतिमा के सामने फोटो रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। स्व. सर्व देव प्रसाद उर्फ चुन्नू जी के परिवार ने यह संकल्प लिया है कि जब तक प्रतिमा का अनावरण नहीं होगा, वे संघर्ष करते रहेंगे

पूर्वजों का संकल्प करेंगे पूरा : राहुल

राजमाता राजवंशी देवी के वंशज सुजान श्रीवास्तव उर्फ राहुल ने कहा कि पूर्वजों के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने पत्र लिखकर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से इस मुद्दे को उठाया। हालांकि, अब तक कोई सार्थक पहल नहीं हुई। लेकिन प्रयास जारी है।

1896 में हुई थी शादी

1950 से 1962 तक देश के राष्ट्रपति रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद की शादी राजवंशी देवी के साथ जून 1896 में रामपुर गांव में हुई थी। शादी के बाद वे राष्ट्रपति बने थे। गांव निवासी पूर्व अध्यापक पंडित जनार्दन दुबे ने बताया कि उस समय राजेन्द्र बाबू कार से आए तो बच्चे दौड़ लगा रहे थे। ग्राम पंचायत रामपुर की राज किशोर सिंह का कहना है कि हमने अपने आंखों से राजेंद्र बाबू को रामपुर आए हुए देखा है। राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति बनकर राजमाता राजवंशी देवी के साथ रामपुर आए थे तो राजवंशी देवी ने सतुआ मांग कर खाया था

Edited By: Ballia Tak

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