16 अक्तूबर को हैं शरद पूर्णिमा : जानिएं इस पर्व की मान्यताएं और खीर का रहस्य

बलिया : आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मां लक्ष्मी के धरती लोक पर भ्रमण करने वाली कोजागर पूर्णिमा या शीत ऋतु की संधि की पूर्णिमा 16 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी। 

इंदरपुर (थम्हनपुरा) निवासी ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि इस दिन प्रातः काल अपने इष्टदेव का पूजन करना चाहिए। कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर के प्राप्ति के लिए कार्तिकेय जी की पूजा करनी चाहिए।

यह भी पढ़े - बरेली : दशहरा पर 11 घंटे तक शहर में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक

रात्रि के पूजन में गणेश पूजन से शुरुवात करके मां लक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक जलाकर उन्हें गुलाब के फूलों की माला के साथ सफेद मिठाई, सुगंध, पीली कौड़ी भी अर्पित करना चाहिए। अगली सुबह इस कौड़ी को तिजोरी में रख लेना चाहिए। रात्रि जागरण करते हुए यथासंभव विष्णु सहस्त्रनाम का जप, श्रीसूक्त का पाठ, श्रीकृष्ण मधुराष्टकम् का पाठ और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूध का संबंध चंद्रमा से माना गया है। माना जाता है कि इस दिन चंद्र से जुड़ी वस्तुएं जाग्रत होकर अमृत के समान बन जाती हैं। षोडश कलाओं से पूर्ण चांद की रोशनी में तैयार हुई खीर में अमृत का संचार होता हैं, जिसकों ग्रहण करने से परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली आती है।

साथ ही सेहत अच्छी रहती है और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। इस दिन धन का लेनदेन करना, तामसिक चीजों का सेवन करना, काले  वस्त्र को धारण करना निषिद्ध रहेगा। बुधवार की रात में खीर को किसी पात्र में चंद्रमा की रोशनी में लाल कपड़े से ढककर रखना है और अगले दिन गुरुवार को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना है।

Edited By: Ballia Tak

खबरें और भी हैं

Copyright (c) Ballia Tak All Rights Reserved.
Powered By Vedanta Software