Inspirational Story of Teachers Day : पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बलिया के शिक्षक शैलेंद्र के भागीरथ प्रयास का चार साल बेमिसाल

Ballia : शिक्षा के जरिए देश का बेहतर भविष्य बनाने में जुटे शिक्षक शैलेन्द्र प्रताप ने शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहे है। विद्यालय के अलावा सामाजिक सरोकारों से खुद को जोड़ कर शैलेन्द्र ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। प्रति दिन एक पौधा लगाने को लेकर संकल्पित शैलेन्द्र ने चार वर्ष में फलदार वृक्षों की हरी-भरी श्रृंखला तैयार कर न केवल सरकारी मशीनरी के सामने नजीर पेश की, बल्कि पर्यावरण के प्रति प्रेम रखने वाले युवाओं के रोल माडल भी बन गए हैं।

एक जिम्मेदार और आदर्श शिक्षक के रुप में पहचाने जाने वाले शैलेन्द्र के मन में पर्यावरण के लिए भी कुछ करने की जिज्ञासा 2020 में जागृत हुई। फिर कहना ही क्या शिक्षक होने के नाते शिक्षक दिवस (5 सितम्बर 2020) को शैलेन्द्र ने एक पौधा रोज लगाने या अपनी ओर से किसी को उपलब्ध कराकर लगवाने का संकल्प लिया, जिसका आज चार साल पूरा हो गया। 

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मूल रूप से मऊ जनपद के सहादतपुरा निवासी शैलेन्द्र प्रताप यादव की तैनाती बलिया के नगरा शिक्षा क्षेत्र में बतौर एआरपी तैनात है। चार साल पहले शिक्षक दिवस पर पर्यावरण संरक्षण के लिए भागीरथ प्रयास शुरू करने वाले शैलेंद्र कहते है कि जीवन शैली में परिवर्तन कर ही पर्यावरण प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौती से लड़ सकते हैं। शैलेन्द्र हर पौधे की जियो टैगिंग कर सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक एवं प्रेरित करते है।

बताया कि जब तक सांसें चलती रहेंगी, यह अभियान चलता रहेगा। शैलेंद्र पर्यावरण जागरुकता के लिए पद यात्रा व साइकिल यात्रा भी कर चुके हैं। जून 2022 में मऊ वाराणसी तक पदयात्रा, गांधी जयंती पर मऊ से लुम्बनी (नेपाल) तक साइकिल यात्रा के साथ ही 1100 से अधिक शिक्षण संस्थानों में पर्यावरण जागरुकता कार्य एवं  तमसा नदी के संरक्षण को अस्सी घाट वाराणसी पर अनशन कर चुके है।

उन्होने बताया कि अपने वेतन से ढाई से तीन हजार प्रतिमाह पर्यावरण संरक्षण पर खर्च करता हूं। इससे मुझे बहुत ही आत्म संतुष्टि मिलती है। कहा कि हर व्यक्ति को न केवल पौधा लगाना चाहिए, बल्कि अपने पुत्र के समान उसकी सुरक्षा भी करनी चाहिए। अपने हाथ से लगाए पौधों के बीच रहने से सुकून मिलता है।

Edited By: Ballia Tak

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