Guru Purnima 2024 : आत्मिक होता है गुरु और शिष्य का संबंध, पं. मोहित पाठक से जानिए गुरु पूर्णिमा का महत्व

Guru Purnima 2024 : गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:, जी हां, गुरु को ब्रह्मा विष्णु महेश के बराबर माना जाता है और उन्हीं की पूजा अर्चना और आराधना करने के लिए गुरु पूर्णिमा का पावन त्योहार मनाया जाता है, जो इस बार 21 जुलाई को मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी है। यह दिन हमें ज्ञान और शिक्षा के महत्व को समझने और अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

महर्षि भृगु वैदिक गुरुकुलम् रामगढ़, गंगापुर, बलिया के संस्थापक पं. मोहित पाठक ने कहा कि गुरु शिष्य का सम्बंध पिता पुत्र का सम्बंध होता है। गुरु अपने शिष्यों के लिए भगवान से हमेशा कामना करता है कि मेरे सभी धर्मपुत्र स्वस्थ्य और प्रसन्न रहें। गुरु अपने शिष्य के भीतर असीम संभावनाओं के द्वार खोल देता है। इससे व्यक्ति अपनी सीमाओं को पार कर अनंत ब्रह्मांड का अंग बन जाता है। सभी के जीवन में गुरु अवश्य होना चाहिए।

यह भी पढ़े - पुलिस मुठभेड़ में प्रधानाचार्य हत्याकांड के दो बदमाश गिरफ्तार, एक को लगी गोली

जिनके जीवन में गुरु नहीं है, उनको श्रद्धा भाव से गुरु खोजना चाहिए। गुरु मिलने पर नतमस्तक होकर अपना अहंकार उनके चरणों में रख देना चाहिए। गुरु के प्रति समर्पित होते ही गुरु तत्व, गुरु कृपा, गुरु ऊर्जा, गुरु स्पर्श और गुरु वाणी शिष्य के भीतर बहनी आरंभ हो जाती है। जब भी गुरु के सामने जाएं, तब धन, कुटुंब, मान-सम्मान या बड़े पद-प्रतिष्ठा वाले बनकर ना जाएं। केवल श्रद्धा भाव से गुरु के प्रति नतमस्तक हो जाएं। जब हम कुछ बनकर गुरु के सामने जाते हैं तब गुरु कृपा से हम चूक जाते है।

गुरु कोई शरीर नहीं, एक तत्व है जो पूरे ब्रह्मांड में विद्यमान है। मेरा गुरु या तेरा गुरु शरीर के स्तर पर अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन गुरु तत्व तो एक ही है। गुरु और शिष्य का संबंध शरीर से परे आत्मिक होता है। गुरु पूर्णिमा गुरु से दीक्षा लेने, साधना को मजबूत करने और अपने भीतर गुरु को अनुभव करने का दिन है। गुरु को याद करने से हमारे विकार वैसे ही दूर होते हैं, जैसे प्रकाश के होने पर अंधेरा दूर हो जाता है। चित्त में पड़े अंधकार को मिटाने वाला कोई और नहीं, बल्कि गुरु ही होते हैं। गुरु ही हैं, जो जीना सिखाते हैं और मुक्ति की राह दिखाते हैं। 

पं. मोहित पाठक 
संस्थापक
महर्षि भृगु वैदिक गुरुकुलम् रामगढ़, गंगापुर, बलिया।

Edited By: Ballia Tak

खबरें और भी हैं

Copyright (c) Ballia Tak All Rights Reserved.
Powered By Vedanta Software