Badaun News: 5 साल की छात्रा ने दिखाई थी हिम्मत, 7 साल जेल में रहेगा छेड़छाड़ का दोषी

बदायूं। विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो एक्ट दीपक यादव ने छात्रा से छेड़छाड़ करने के आठ साल पुराने मामले में आरोपी को दोषी माना है। दोषी को सात साल का कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। साथ ही जुर्माने की आधी धनराशि पीड़िता को देने का आदेश दिया है। 

अभियोजन पक्ष के अनुसार एक महिला ने पुलिस ने 6 दिसंबर 2016 को तहरीर देकर बताया कि उसकी पांच साल की बेटी शहर के प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ती है। दो दिसंबर को वह स्कूल से वापस घर आई थी। छात्रा ने बताया कि वह बाथरूम करने जाती है तो स्कूल के स्वीपर रमेश अंकल पोंछा धोने की बात कहकर उसे पीछे बाथरूम में चले आते हैं और उसके साथ अश्लील हरकतें करते हैं। साथ ही उसके प्राइवेट पार्ट भी छूते हैं। किसी को बताने पर बाथरूम में बंद करने और जान से मारने की धमकी देते हैं।

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महिला ने अगले दिन स्कूल प्रबंधन से संपर्क किया लेकिन बात नहीं हो सकी। जिसके बाद वह पांच दिसंबर को फिर से स्कूल गईं और स्कूल प्रशासन को घटना से अवगत कराया। अपनी बेटी के बयान भी दिलाए। स्कूल प्रशासन ने सीसीटीवी फुटेज चेक की तो घटना सही निकली। साथ ही महिला को आरोपी स्वीपर के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया। घटना सही होने के बाद भी स्कूल प्रशासन ने आरोपी स्वीपर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

महिला का आरोप था कि स्वीपर पर कार्रवाई न करने पर ऐसा प्रतीत होता है कि गंभीर प्रकरण के बाद भी स्कूल प्रबंधन लापरवाह और अपराध को बढ़ावा दे रहा है। इसके बाद महिला की तहरीर पर पुलिस ने स्कूल के स्वीपर शहर के मोहल्ला लोटनपुरा निवासी रमेश के खिलाफ पॉक्सो, छेड़छाड़ और धमकाने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज की थी। साथ ही पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। जिसके बाद वह जमानत पर जेल से रिहा हो गया था।

विवेचक संत प्रसाद उपाध्याय ने जांच करके रमेश के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। तब से मामला कोर्ट में विचाराधीन था। मंगलवार को न्यायाधीश ने पत्रावली पर साक्ष्यों का अवलोकन कर विशेष लोक अभियोजक अमोल जौहरी, वीरेंद्र वर्मा, प्रदीप भारती और बचाव पक्ष के अधिवक्ता की बहस सुनने के बाद आरोपी को दोषी माना और उसकी जमानत निरस्त करते हुए सजा सुनाई। जेल में व्यतीत की गई अवधि उसकी सजा में समायोजित की जाएगी। 

मुश्किल से बताते हैं बच्चे, उसमें भी की गई लापरवाही
फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश दीपक यादव ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में सत्यतता साबित होने पर स्वीपर के खिलाफ स्कूल प्रबंधन द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए थी। पीड़िता किसी को बताएगी तो उसके कार्रवाई करनी होगी। ऐसे मामलों में बच्चे बड़ी मुश्किल से कोई बात अपने माता-पिता को बता पाते हैं। उसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर लीतापोती का प्रयास किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता का स्कूल में काम करने वाले सफाइकर्मी ने लैंगिग उत्पीड़न किया। अबोध बालिका घटना से सदमे में रही है। विद्यालय प्रबंधन जिसका पहला दायित्व बच्चों की सुरक्षा करना होता है ने भी अपने दायित्वों से पल्ला झाड़ लिया। सीसीटीवी कैमरे की फुटेज होने के बावजूद न तो आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की और न ही पुलिस को सीसीटीवी कैमरे की फुटेज उपलब्ध कराई।

Edited By: Ballia Tak

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