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आ गई हैं दिवाली, लेकर खुशियों का बाहार...
दिवाली विशेष
हैं धन की देवी ! महालक्ष्मी का पर्व त्यौहार।
पेंट-प्लास्टर, साफ-सफाई कर घर को हैं चमकाया गया,
झालर, दीपक सब लगाकर हर घर को हैं सजाया गया।
बम, फुलझड़ी, चकरी और राकेट सब हैं लगे तैयार खड़े,
कि कब कोई नन्हा सा बच्चा आकर करे आजाद उसे।
लौटे हैं राम अवधपुरी में, काट चौदह वर्ष का वनवास,
झूम उठी हैं नगरी सारी, लिए भर मन में उल्लास।
रंग बिरंगे गुलालों से, रंगोली दियो द्वार बनाएं,
गणपति संग मां लक्ष्मी को, लियो घर में बुलाए।
लड्डू, हलवा, खीर रख प्लेट में, गणपति को दियो भोग लगाएं,
लाल कपड़े में नारियल रख कर, कुबेर को दियो आसन लगाएं।
देखो कैसे फैल गई दीपों की माला, हर घर मंदिर में उजियाला,
हर गली मोहल्ले से निकल रही, बम, फुलझड़ी, राकेट की हल्ला।
आ गई हैं दिवाली, लेकर खुशियों का बाहार,
हैं धन की देवी ! महालक्ष्मी का पर्व त्यौहार।
आया है त्यौहार बड़ा पर, नहीं दिखता उमंग त्यौहारों में,
हो गया हैं त्यौहार पैसों का, पर हैं पैसा सबके पास कहां।
बम, फुलझड़ी, चकरी और राकेट की कीमत हैं आपार,
बच्चों कि तो हैं मांग बहुत, पर पॉकेट हैं सबकी लाचार।
आओ मिलकर प्रतिज्ञा करे हम, कि खुशियों का त्यौहार मनाएंगे,
चाहें कितने हों कम पैसे, पर मिलकर खुशियों का दीप जलाएंगे।
आ गई हैं दिवाली, लेकर खुशियों का बाहार,
हैं धन की देवी ! महालक्ष्मी का पर्व त्यौहार।
अभिषेक मिश्रा
निवासी : ग्राम+ पोस्ट-चकिया, बलिया, उत्तर प्रदेश