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तीन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने नेपाल की शांति प्रक्रिया पर चिंता जताई
काठमांडू। नेपाल में जारी शांति प्रक्रिया के अंतिम चरण को लेकर सरकार के कदम पर तीन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने आपत्ति दर्ज की है। इन तीनों संगठनों ने बुधवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और माओवादी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को पत्र लिखकर मौजूदा प्रक्रिया को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल, आईसीजे और ह्यूमन राइट्स वॉच ने संयुक्त बयान में कहा कि सत्य निरूपण आयोग (टीआरसी) का गठन करने के लिए सरकार की समिति ने जिन लोगों के नाम की सिफारिश की है, उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। पत्र में कहा गया है कि नेपाल सरकार को मानवीय संवेदना को ध्यान में रखते हुए इसका फैसला करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ओमप्रकाश मिश्र के नेतृत्व में गठित समिति ने सरकार को 40 लोगों की सूची दी है जिसमें दो अलग-अलग समितियों के अध्यक्ष और चार-चार सदस्यों के नाम हैं। इन मानवाधिकार संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि समिति की सिफारिश पर किसी की नियुक्ति न की जाए। साथ ही फिर से चयन प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह भी किया गया है।
तीनों नेताओं को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि संक्रमणकालीन न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कानून के अनुपालन की आवश्यकता होती है, इसलिए नेपाल सरकार सहित सभी संबंधित पक्षों से इस प्रक्रिया की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैधता की रक्षा करने का आग्रह है। पत्र में इस तरह की विफलता अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपराधों सहित गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने में नेपाल की अनिच्छा या असमर्थता का संकेत देने की बात भी उल्लेख है। उन्होंने प्रधानमंत्री और सभी पक्षों से न्यायिक आयोगों में स्वतंत्र, निष्पक्ष और सक्षम व्यक्तियों की नियुक्ति के लिए हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श सहित एक पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए नई सिफारिश समिति बनाने का अनुरोध किया है।