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दीघा के ‘जगन्नाथ धाम’ पर विवाद: शुभेंदु अधिकारी ने कहा- ‘पुरी के जगन्नाथ धाम का कोई विकल्प नहीं’
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार द्वारा पुर्व मेदिनीपुर के दीघा के ‘जगन्नाथ धाम’ मंदिर निर्माण के फैसले को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। गुरुवार को इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर तीखा हमला किया। शुभेंदु ने इस परियोजना को धर्म के नाम पर सरकारी पैसे की बर्बादी बताते हुए इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया। वहीं, इस विवाद के जवाब में इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने अपनी प्रतिक्रिया दी और मुख्यमंत्री का समर्थन किया।
शुभेंदु अधिकारी का आरोप
शुभेंदु ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, “यदि आप सोचती हैं कि आप पुरी के जगन्नाथ धाम की महिमा को कम कर सकती हैं या उसका विकल्प बना सकती हैं, तो यह आपकी भूल है। भगवान जगन्नाथ से मेरी प्रार्थना है कि वे आपको सद्बुद्धि प्रदान करें।”
उन्होंने आगे कहा कि पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर भारत के सनातन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है और उसकी बराबरी या विकल्प बनाना संभव नहीं है। शुभेंदु ने मंदिर के अद्भुत निर्माण और उससे जुड़े चमत्कारों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मन्दिर विज्ञान को भी चुनौती देता है।
शुभेंदु अधिकारी ने दलील दी कि अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण भी सरकारी धन से नहीं बल्कि ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ द्वारा हिंदुओं से प्राप्त दान से हुआ। उन्होंने कहा, “सरकारी धन से धार्मिक स्थल का निर्माण करना असंवैधानिक है।”
इस्कॉन के राधारमण दास की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन करने वाले इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा, “जगन्नाथ का अर्थ है ‘जगत के नाथ’। उनका मंदिर विश्व के हर कोने में बन सकता है। दीघा मंदिर पुरी के मंदिर का विकल्प नहीं है। इस पर विवाद का कोई सवाल ही नहीं उठता।”
हालांकि, शुभेंदु अधिकारी ने राधारमण दास की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “मुझे इस्कॉन के प्रतिनिधि के रूप में राधारमण जी को मुख्यमंत्री के साथ देखकर शर्म आ रहा है । एक धार्मिक संगठन का प्रतिनिधि होने के नाते, उन्हें मुख्यमंत्री के बयान का विरोध करना चाहिए था।”
इसके जवाब में राधारमण दास ने कहा, “हम भगवान के सेवक हैं। हमें जहां भगवान की सेवा के लिए बुलाया जाएगा, हम वहीं जाएंगे। राजनीति से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।”