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भारत-रूस संबंध
यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि हाल ही में संपन्न हुई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तीन दिवसीय रूस यात्रा दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और मजबूती देने की दिशा में बहुत उपयोगी रही। वह वहां सैन्य और सैन्य सहयोग पर भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग के 21 वें सत्र में भाग लेने गए थे। वह आइएनएस तुशिल की फ्लैग रेजिंग सेरेमनी में भी शामिल हुए, जिसे काफी पहले भारतीय नौसेना में शामिल होना था, लेकिन कोविड, वैश्विक आपूर्ति शृंखला में रुकावट तथा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यह टलता रहा था।
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच उनका यह बयान बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों ने इस पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अत्यधिक संभावनाएं हैं और भविष्य में साझा प्रयासों से शानदार नतीजे हासिल किए जा सकते हैं। उनका यह भी कहना था कि दोनों देशों के बीच जी-20, ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ रहा है।
राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलासोव से रक्षा मुद्दों पर व्यापक बातचीत की और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली ‘एस-400 ट्रंफ’ की शेष दो यूनिटों की आपूर्ति जल्दी करने का दबाव भी डाला। यूक्रेन से युद्ध के चलते भारत को दी जाने वाली इन दो यूनिटों की आपूर्ति में विलंब हुआ है। रक्षा मंत्री ने विभिन्न मिलिट्री हार्डवेयर के निर्माण के क्षेत्र में भारत में असीम संभावनाओं की जानकारी दी। रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में अपने एक बयान में कहा है कि रूस और भारत के बीच आपसी सम्मान पर आधारित मजबूत और पुरानी दोस्ती है। उल्लेखनीय है कि जुलाई में मास्को में राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी की बैठक और अक्टूबर में कजान में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई मुलाकातों के परिणामस्वरूप विशेष रणनीतिक साझेदारी और गहरी हुई है, जिसमें रक्षा क्षेत्र भी शामिल है। राजनाथ सिंह की इस यात्रा का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आपसी संबंध को और मजबूत बनाना था, जिसमें वह काफी हद तक सफल रहे।