कूटनीतिक सफलता

हाल ही में इटली में संपन्न हुआ जी-7 सम्मेलन में भारत बतौर अतिथि शामिल हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इटली का प्रवास ऐसे समय पर हुआ जब भारत में एक सप्ताह पहले तक चुनावी प्रक्रिया का अंतिम चरण चल रहा था और सरकार बनाने की प्रक्रिया चल रही थी। देश में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री ने इस समारोह में हिस्सा लिया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने जी-7 के सदस्य देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा व जापान) के राष्ट्राध्यक्षयों से मुलाकात कर भारत के हित के संबंध में चर्चा कर समर्थन की मांग की। इसे भारत का कूटनीतिक कदम भी कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि इस मौके पर भारत ने कनाडा और चीन के तनावपूर्ण संबंधों पर अपनी बात रखी और पूर्व में उनके द्वारा की गई भारत विरोधी गतिविधियों पर जी-7 सदस्यों का ध्यानाकर्षण भी किया।

गौरतलब है कि कुछ महीने पहले कनाडा ने भारत पर कनाडा की धरती पर एक खलिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था,जबकि अमेरिका ने दूसरे खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। भारत ने आम तौर पर दोनों आरोपों को सिरे से खारिज किया। हालांकि अमेरिका के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी भी बनाई है,लेकिन शिखर सम्मेलन में मोदी का निमंत्रण जी-7 और उसके प्रतिद्वंद्वियों,विशेष रूप से चीन के बीच उभरती आर्थिक दौड़ में भारत की भूमिका का संकेत है।

सम्मेलन में भारत ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए चीन को चेताने का काम किया तो साथ ही भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे यानि आईएमईसी पर भी जिन नेताओं से मिले उन सभी से विचार विमर्श किया। भारत ने इस गलियारे में ज्यादा से ज्यादा देशों को शामिल करने का प्रयास किया। सच तो यह है कि भारत और अमेरिका ने चीन के न्यू सिल्क रोड यानी बेल्ट एंड रोड के जवाब में ही आईएमईसी बनाने का प्रारूप तैयार किया है।

गौरतलब है कि गत वर्ष भारत में सितंबर में जी-20 सम्मेलन आयोजित हुआ था। इस अवसर पर भारत ने अमेरिका, सऊदी अरब एवं यूरोपीय देशों के नेताओं से मिलकर पर एशिया-पर्सियन गल्फ और यूरोप के देशों को जोड़ने के एक अति महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारे की योजना की घोषणा कर दी। बहरहाल जी-7 में भारत ने अपने हितों को अन्य देशों के साथ अवसर तलाशने का प्रयास तो किया ही,साथ ही तीसरी बार सरकार बनाने वाले नेता ने भारतीय लोकतंत्र की गरिमा का एहसास भी कराया। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जी-7 की बैठक में शामिल होने को उनकी कूटनीतिक सफलता माना जा सकता है।

Edited By: Ballia Tak

खबरें और भी हैं

Copyright (c) Ballia Tak All Rights Reserved.
Powered By Vedanta Software