राजनीति में मर्यादा

ओडिशा में नवीन पटनायक की 25 साल की सत्ता खत्म और भाजपा का शासन शुरू हो चुका है। मोहन चरण माझी ने बुधवार को राज्य के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की शालीन उपस्थिति और प्रधानमंत्री से लेकर सभी नेताओं से मेल-जोल की सुंदर तस्वीर दिखी। लगा कि नवीन पटनायक ही मानों समारोह के मेजबान हों। 

राजनीतिक सद्भाव धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। ऐसे समय में जब राजनीतिक रिश्तों में विरोध, दुश्मनी की तरफ बढ़ रहा है, राजनीतिक शुचिता, मर्यादा, शील-व्यवहार जरूरी है। मर्यादा बहुत जरूरी है जिसका अभाव है। नवीन पटनायक सेकुलर छवि वाले नेता हैं। देखा जाए तो एक व्यक्ति के रूप में नवीन पटनायक की मिलनसारिता ही उनकी सादगी है। उनका राजनीतिक जीवन भी उनके व्यक्तित्व से ही प्रभावित है। 

उन्होंने चुनाव प्रचार में कहीं भी असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं किया जबकि आज चुनाव प्रचार के दौरान भाषा की मर्यादा का उल्लंघन एक बड़ी समस्या बन गई है। भाषा की मर्यादा का उल्लंघन न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया को बदनामकर रहा है, बल्कि यह समाज के लिए भी खराब संकेत है। मतभेद, मनभेद को तोड़ रहा है। अब विचार के प्रति भी कोई प्रतिबद्धता नहीं हैं। सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थ है तो जाहिर सी बात है कि सोच के स्तर पर पतन होगा। 

चुनावी राजनीति ने सारी मर्यादाएं समाप्त कर दी हैं। लोकतंत्र में ही असहमति, विसम्मति, आलोचना, विरोध-प्रतिरोध संभव है। लोकतंत्र एक व्यवस्था है जिसमें यह तय होता है कि विभिन्न मतों, सोच, विवेक का इस्तेमाल करते हुए जनता और समाज की बेहतरी के लिए निर्णय कैसे लिए जाएंगे? ध्यान देने वाली बात है कि जहां देश की विविधता को ध्यान में रखा जाता है और इसके मुताबिक स्वीकार्य व्यवस्था बन जाती है, वहां टकराव और टूटन नहीं होती है। 

जहां लोग व्यवहार तो विविधता के हिसाब से ही करते रहते हैं, लेकिन स्वीकार्य व्यवस्था नहीं बन पाती है, वहां कुछ न कुछ आपसी दिक्कत होती रहती है। परंतु क्या बिना बंधुता, प्रेम और सम्मान के समाज व देश को एक बनाए रखा जा सकता है? लोकतत्रं का मूल आधार कुछ मूल्य, सिद्धांत होते हैं। जब ये सिद्धांत हमारे संस्कारों में आ जाते हैं, तब लोकतंत्र स्थापित होता है। लोकतंत्र की खूबसूरती इसी को कहते हैं। परंतु लोकतंत्र की इस खूबसूरती को ग्रहण लग रहा है। जनता को राजनीतिक व्यवहार, लोकतंत्र के बारे में प्रशिक्षित करना चाहिए।

Edited By: Ballia Tak

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