घटता मत प्रतिशत

आम चुनाव 2024 समाप्ति की ओर हैं। केवल एक चरण का मतदान बाकी है। अंतिम चरण का मतदान 1 जून को होगा और परिणाम 4 जून को आने हैं। जनादेश का विश्लेषण तो उसके बाद ही किया जा सकता है। परंतु चुनाव में देश भर में मतदाताओं की भागीदारी से पता चलता है कि 2019 और यहां तक कि 2014 की तुलना में चुनावों के मतदान में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। 

मतदाताओं की उदासीनता हमारी व्यवस्था में गहरी अस्वस्थता का लक्षण है। याद रखना चाहिए कि मतदान न केवल हमारा अधिकार है, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी है। इस बार चुनाव की बुनियादी चिंता यह रही कि शहरी मतदाता अपेक्षाकृत उदासीन रहा। उसने मतदान के प्रति दायित्व और मताधिकार के महत्व को कमतर आंका, नतीजतन मतदान के शुरुआती आंकड़े निराश करते रहे। लंबे समय तक मतदाताओं की उदासीनता लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ही कमजोर कर सकती है। 

दरअसल मुंबई से लखनऊ तक का चुनाव  शहरी उदासीनता का प्रतीक रहा है। बेशक यह झुलसाती, चिलचिलाती गर्मी और लू का मौसम है। कई जगहों पर 44-45 डिग्री तक तापमान रिकॉर्ड किया गया। गर्मी के कारण मतदान कम हुआ, यह तर्क गले नहीं उतरता। क्योंकि अक्सर आम चुनाव इन्हीं महीनों में कराए जाते रहे हैं। 

2009 के आम चुनाव से पहले किए गए नवीनतम परिसीमन के बाद से इतनी बड़ी संख्या में सीटों पर मतदाताओं की भागीदारी में गिरावट अभूतपूर्व है। संख्याओं पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि 2014 में कुल मतदाताओं (18 वर्ष से अधिक आयु के योग्य मतदाता) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी, और 2019 और 2024 में मामूली वृद्धि हुई थी। लेकिन केवल 2024 में ही मतदान प्रतिशत में नाटकीय रूप से गिरावट आई। 

पूर्व, उत्तर-पूर्व और दक्षिण में कई मतदाताओं ने आमतौर पर पश्चिम, मध्य और उत्तर भारत की तुलना में अधिक मतदान किया। फिर भी, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ अपवादों को छोड़कर, जहां मतदान प्रतिशत में 62.8 प्रतिशत से 65.7 और 68.8 प्रतिशत से 70.6 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई, 2024 में राज्यों में मतदान में सामान्य गिरावट आई है। 

जबकि यह समय लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का समय होता है। मतदाता की उदासीनता अन्याय और असमानता को जड़ जमाने के लिए उपजाऊ जमीन तैयार करती है। मतदान न करना भी लोकतंत्र और संविधान की अवमानना है। लिहाजा चुनाव आयोग की ओर से आवश्यक मतदान के लिए कुछ तो प्रावधान किए जाने चाहिएं।  

Edited By: Ballia Tak

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